टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

ऋषिकेश। टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर. के. विश्नोई ने बताया कि टीएचडीसीआईएल विद्युत क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम होने के नाते विद्युत क्षेत्र में नए मानक स्थापित करते हुए निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। जल विद्युत के क्षेत्र में अपनी प्रखरता प्राप्त करने वाले टीएचडीसीआईएल ने उच्च स्तरीय अभियांत्रिकी समाधानों में भी अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है, विशेष रूप से ढलान स्थिरीकरण, भूस्खलन शमन और भू-तकनीकी परामर्श के क्षेत्रों में, विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हिमालयी भूविज्ञान में। इसके अलावा, राष्ट्रीय विद्युत नीति के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता, ‘सभी को 24X7 किफायती, विश्वसनीय विद्युत प्रदान कराने के साथ ही इसने हमेशा समाज को लाभ पहुंचाने एवं जनसमुदाय के उत्थान और राष्ट्र की समग्र प्रगति में योगदान देने का प्रयास किया है।
माता वैष्णो देवी तीर्थस्थल देश के लोगों के मध्य असीम आस्था और श्रद्धा का स्रोत है। इसी विशेष कार्य में एक विश्वसनीय तकनीकी भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को सुदृढ़ करते हुए, टीएचडीसीआईएल ने श्री माता वैष्णो देवी, कटरा, जम्मू-कश्मीर के श्राइन बोर्ड और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। 8 अप्रैल, 2025 को कटरा, जम्मू-कश्मीर में श्राइन बोर्ड के केंद्रीय कार्यालय में औपचारिक रूप से किए गए इस समझौते का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में श्री माता वैष्णो देवी भवन की ओर जाने वाले यात्रा मार्ग का ढलान स्थितिकरण का अध्ययन करना है। इस सहयोग के माध्यम से, टीएचडीसीआईएल आधुनिक तकनीक द्वारा ढलान स्थिरीकरण, भू-तकनीकी और भूगर्भी अन्वेषण में अपने व्यापक अनुभव द्वारा परामर्श सेवाएं प्रदान करेगा, जिससे तीर्थयात्रा मार्ग की दीर्घकालिक सुरक्षा व आवागमन सुनिश्चित होगा।
विश्नोई ने कहा कि टीएचडीसीआईएल के परिकल्प एवं अभियांत्रिकी विभाग के अंतर्गत एक समर्पित परामर्श विंग है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर जल संसाधन अभियांत्रिकी और उच्च स्तरीय अभियांत्रिकी सेवाओं के क्षेत्र में संपूर्ण अभियांत्रिकी समाधान प्रदान करती है। निगम की यह विंग केंद्र और राज्य सरकार के निकायों के साथ-साथ अन्य वैधानिक प्राधिकरणों को विशेष रूप से भूस्खलन शमन और ढलान स्थिरीकरण के क्षेत्र में विशेषज्ञ समाधान प्रदान करती है। पिछले वर्षों में, टीएचडीसीआईएल ने देश भर में परामर्श सेवाओं के लिए कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे पहले, टीएचडीसीआईएल ने बुनाखा (180 मेगावाट) और संकोश (2585 मेगावाट) जलविद्युत परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अद्यतन करने के लिए भूटान की शाही सरकार को परिकल्प एवं अभियांत्रिकी सेवाएं प्रदान करके अपनी विशेषज्ञता का विस्तार किया है। इसके अलावा, टीएचडीसीआईएल ने ढलान स्थिरीकरण परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें उत्तरकाशी, उत्तराखंड में वरुणावत पर्वत भूस्खलन शमन परियोजना और श्री माता वैष्णो देवीजी के ट्रैक के साथ उच्च पहाड़ी ढलानों के लिए ढलान संरक्षण उपाय शामिल हैं।
हस्ताक्षर समारोह में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग (आईएएस) और टीएचडीसीआईएल के निदेशक (कार्मिक) शैलेन्द्र सिंह की गरिमामयी उपस्थिति इस पहल के सामरिक महत्व पर प्रकाश डालती है।
शैलेन्द्र सिंह, टीएचडीसीआईएल के निदेशक (कार्मिक) इस अवसर पर वार्ता करते हुए इस बात पर जोर दिया कि टीएचडीसीआईएल जून 2011 से श्राइन बोर्ड के लिए तकनीकी सलाहकार के रूप में काम कर रही है, जो संगठन की क्षमताओं में विश्वास का प्रमाण है। इस नए समझौते के तहत, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण पूरे तीर्थयात्रा मार्ग पर भूवैज्ञानिक अन्वेषण करेगा, जबकि टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड भू-तकनीकी और भूभौतिकीय आकलन के साथ-साथ ढलान स्थिरीकरण उपायों के परिकल्प एवं अभियांत्रिकी पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह सहयोग तीर्थयात्रा ट्रैक की विश्वसनीयता, सुरक्षा और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
सिंह ने कहा कि अपने परामर्श कार्य के एक भाग के रूप में, टीएचडीसीआईएल ने भूस्खलन शमन उपायों के लिए 430 से अधिक डीपीआर तैयार किए हैं, जिनमें उत्तराखंड राज्य सरकार, श्री माता वैष्णो देवी जी के श्राइन बोर्ड, जम्मू-कश्मीर, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच), और जम्मू-कश्मीर, पुणे, अरुणाचल प्रदेश और शिलांग सहित देश भर में अन्य स्थानों पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए परियोजनाएं शामिल हैं।
शैलेन्द्र सिंह ने आगे कहा कि टीएचडीसीआईएल ने प्रमुख भूमिगत घटकों के साथ मेगा हाइड्रो परियोजनाओं के परिकल्प, निर्माण और ओ एंड एम में विशेषज्ञता हासिल की है। उपरोक्त के अलावा, इसने समाज के उत्थान और राष्ट्र की समग्र प्रगति में सक्रिय रूप से योगदान दिया है। पहाड़ी राज्यों में सड़कें और राष्ट्रीय राजमार्ग महत्वपूर्ण जीवन रेखा हैं। टीएचडीसीआईएल भू-तकनीकी जांच, इंजीनियरिंग हस्तक्षेप और भूस्खलन शमन समाधान प्रदान करने के अलावा पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के दिन-प्रतिदिन के जीवन में सहायता करके क्षेत्र की समृद्धि और प्रगति के भरोसेमंद अग्रदूत की भूमिका भी निभा रहा है।
टीएचडीसीआईएल के निदेशक (तकनीकी) भूपेंद्र गुप्ता ने समझौता ज्ञापन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि टीएचडीसीआईएल की परामर्श सेवाएं विभिन्न क्षेत्रों में इंजीनियरिंग उत्कृष्टता के लिए संगठन की प्रतिबद्धता को मूर्त रूप देती हैं। भू-तकनीकी इंजीनियरिंग, जल विद्युत और ढलान स्थिरीकरण में अपनी गहन विशेषज्ञता के साथ, टीएचडीसीआईएल भूवैज्ञानिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह समझौता ज्ञापन राष्ट्र निर्माण में एक विश्वसनीय तकनीकी साझेदार के रूप में टीएचडीसीआईएल की यात्रा में एक और मील का पत्थर है।
एमओयू पर टीएचडीसीआईएल के महाप्रबंधक, परिकल्प(सिविल-II) डॉ. नीरज अग्रवाल, श्राइन बोर्ड के एडिशनल सीईओ (आईएफएस) आलोक कुमार मौर्य तथा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से संजीव कुमार, उप महानिदेशक (एनआर) ने हस्ताक्षर किए । इस अवसर पर जीएसआई जम्मू के निदेशक प्रवीण कुमार, श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की प्रबंधक रविंदर कौल, टीएचडीसीआईएल के सहायक प्रबंधक ईशान भूषण और टीएचडीसीआईएल के भू-तकनीकी अभियंता अमनिन्दर सिंह नय्यर भी उपस्थित थे।