Uttarakhand
दान की भूमि पर व्यवसायीकरण का बाबा रामदेव सपना नहीं होगा पूरा: स्वामी शिवानंद

हरिद्वार। मातृ सदन आश्रम जगजीतपुर के संस्थापक स्वामी शिवानंद महाराज ने स्वामी दर्शनानंद गुरूकूल संस्कृत महाविद्यालय के पतंजलि गुरूकुलम में विलय का विरोध किया है। उन्होंने कहा दान की भूमि पर व्यवसायीकरण की इजाजत नहीं दी जा सकती। बाबा रामदेव अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए स्वामी दर्शनानंद की सिद्धांतों के विपरीत गुरुकुल महाविद्यालय की भूमि पर पतंजलि आचार्य कुलम का विस्तार करने जा रहे हैं। मातृ सदन इसका विरोध करती हैं और स्वामी दर्शनानंद गुरूकूल संस्कृत महाविद्यालय की भूमि को बाबा रामदेव के पतंजलि गुरूकुलम से मुक्त कराकर पुनः स्वामी दर्शनानंद के सिद्धांतों के अनुरूप संचालित किया जाएगा। इसके लिए मातृ हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार है। दान की भूमि पर व्यवसायीकरण का बाबा रामदेव का सपना पूरा नहीं होने दिया जाएगा। मातृ सदन आश्रम जगजीतपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि पतंजलि का कहीं नाम लेते हैं तो सब कहते हैं बाबा रामदेव वाला पतंजलि । जबकि पतंजलि एक महान ऋषि थे, योग शास्त्र के प्रणेता थे। जो आज योग के नाम पर हाथ पैर चलाया जा रहा है, वह योगासन भी नहीं है यह तो एक्सरसाइज है, परंतु जिन पतंजलि के नाम पर बाबा रामदेव अपना व्यवसाय चला रहे हैं – पतंजलि गारमेंट्स, पतंजलि स्वीट्स, पतंजलि घी । इनके कारण आने वाली पीढ़ी पतंजलि ऋषि का नाम भी भूल जाएगी। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव ने एक महान ऋषि के नाम का व्यवसायीकरण किया, और उससे अपना धंधा चला रहे हैं। इसी प्रकार स्वामी दर्शनानंद भी आर्य समाज के एक ऋषि थे। ऋषि की भावना जनकल्याणार्थ होती है । ऋषि के पास अपनी संपत्ति नहीं होती लेकिन उनके त्याग तपस्या को देखते हुए जनमानस और अच्छे लोग उन्हें दान देते हैं। बाबा रामदेव ने ही अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि स्वामी दर्शनानंद जी को मात्र तीन बीघा जमीन मिली थी जिस पर यह महाविद्यालय शुरू हुआ और इसका आज का प्रारूप, इतना विशाल स्वामी दर्शनानंद जी के तप से ही हुआ है, बाबा रामदेव के व्यवसायीकरण से नहीं। बाबा रामदेव न तो तपस्वी हैं, न ही कुछ और स्वामी शिवानंद ने कहा कि 27 मई 2023 को हमें गुरुकुल महाविद्यालय के कुछ पदाधिकारियों से एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने मातृ सदन के शिवानंद महाराज से गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर को बचाने के संबंध में आग्रह किया। उन्होंने कहा कि संस्था में हिंदू संस्कृति और संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए 200 ब्रह्मचारियों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है लेकिन महाविद्यालय के ही कुछ विवादित पदाधिकारी स्वामी रामदेव से मिलकर इस संस्था को पतंजलि योगपीठ को देना चाहते हैं। महाविद्यालय के पास लगभग 300 बीघा भूमि दान से प्राप्त हुई है जिसकी वर्तमान में कीमत 2000 करोड़ से अधिक है।