हर्षिल हेलीपैड पर बनी अस्थाई झील, नेशनल हाईवे भी डूबा

सिंचाई विभाग की टेक्निकल टीम ने की जांच
उत्तरकाशी। हर्षिल घाटी में मौसम भले ही साफ हो गया है, लेकिन मुश्किलें कम नहीं हुई है। हर्षिल के हेलीपैड पर एक अस्थायी झील बन गई है, जिसको लेकर स्थानीय लोग काफी डरे हुए थे, लेकिन प्रशासन ने बताया कि हर्षिल हेलीपैड पर बनी अस्थाई झील से पानी का धीरे-धीरे रिसाव होने लगा है, जो राहत की बात है।
देहरादून में हुई आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक में भी हर्षिल में बनी अस्थाई झील का जिक्र किया गया और उसकी वास्तविक स्थिति के बारे में पूछा गया। इस पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार ने बताया कि हर्षिल में बनी अस्थाई झील की जानकारी उन्हें है।
सचिव विनोद कुमार ने बताया कि सिंचाई विभाग के अधिकारी अपनी टेक्निकल टीम के साथ मौके पर गए थे। उन्होंने देखा की वहां पर करीब तीस से चालीस मीटर का मलबा जमा है, लेकिन कोई डर की बात नहीं है। क्योंकि अस्थायी झील के किनारे से मिट्टी और पानी निकल रहा है। इसलिए खतरे की कोई बात नहीं है। फिर भी सिंचाई विभाग उस अस्थाई झील पर नजर बनाए है।
बता दें कि उत्तरकाशी जिले में हर्षिल घाटी में स्थित धराली गांव में पांच अगस्त दोपहर को करीब 1.30 खीरगंगा में पानी के सैलाब के साथ पहाड़ी से भारी मलबा भी आया था। इस सैलाब में पूरा धराली गांव तबाह हो गया। बताया जा रहा है कि गांव करीब 50 फीट मलबे के नीचे दब गया है।
धराली के साथ हर्षिल इलाके में भी उस दिन पानी की सैलाब आया था, जिसे हर्षिल हेलीपेड पर पानी की जमाव हो गया था। एक तरह के हेलीपैड पर अस्थायी झील बन गई थी, जिससे नदी का प्रवाह भी रुक गया था। वहीं नेशनल हाईवे भी झील के बनने से डूब गया था। हालांकि उस झील से पानी निकल रहा है, इसीलिए टेंशन की कोई बात नहीं है।
बारिश के कारण हर्षिल घाटी में जगह-जगह हाईवे पर टूट पड़े, जिन्हें सही करने का काम जारी है। हाईवे पर सबसे ज्यादा नुकसान गगनानी में पुल टूट गया था, जिस वजह से हर्षिल और धराली पहुंचने में मुश्किल हो रही है। हालांकि बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) गगनानी में वैली ब्रिज बनाने का काम कर रही है। उम्मीद है कि कल तक वैली ब्रिज तैयार हो जाएगा।