DehradunUttarakhand

दिव्यांगजनों को बड़ी राहतः जिला अस्पताल में खुलेगा बहुउद्देश्यीय पुनर्वास केंद्र

  • सविन बंसल की पहल पर एकीकृत सुविधाः प्रमाण पत्र से लेकर कृत्रिम अंग और काउंसलिंग तक की सेवाएं एक ही स्थान पर,
  • समावेशी स्वास्थ्य सेवाओं की ओर एक सार्थक कदम, देहरादून में स्थापित होगा डीडीआरसी केंद्र

देहरादून। दिव्यांग नागरिकों के लिए अब प्रमाण पत्र बनवाने से लेकर फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक सलाह और कृत्रिम अंग प्राप्त करने तक की सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी। यह संभव हो सकेगा जिला अस्पताल परिसर में प्रस्तावित दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) की स्थापना से, जो जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल पर अस्तित्व में आ रहा है। इस केंद्र की स्थापना का निर्णय 25 जून 2025 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित जिला प्रभारी समिति की बैठक में लिया गया, जहां समावेशी सेवा प्रणाली को प्राथमिकता दी गई। केंद्र के लिए स्थायी व व्यावहारिक स्थान की आवश्यकता को देखते हुए जिला अस्पताल परिसर को चुना गया।
गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय के अंतर्गत एक हाल और एक कमरा को डीडीआरसी संचालन हेतु उपयुक्त पाया गया है। निरीक्षण दल में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनु जैन, समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी शामिल थे। निरीक्षण के उपरांत तय किया गया कि केंद्र के शीघ्र संचालन के लिए साफ-सफाई, विद्युत व्यवस्था, आवश्यक फर्नीचर और मरम्मत कार्यों को तत्काल प्रारंभ किया जाए।
यह केंद्र दिव्यांगजनों को न सिर्फ प्रमाणन, बल्कि कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र, उपकरण वितरण, फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक परामर्श जैसी सभी सेवाएं एक ही छत के नीचे देगा। संचालन की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग की होगी और यह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की समावेशी और सुलभ सेवा नीति को धरातल पर उतारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विगत 5 वर्षों से क्क्त्ब् केंद्र हरबर्टपुर से लगभग एक किलोमीटर दूरी पर संचालित हो रहा था, जबकि उसका एक सब-सेंटर सनातन धर्म कन्या इंटर कॉलेज, राजा रोड में क्रियाशील था। इससे दिव्यांगजनों को असुविधा होती थी, जिसे देखते हुए अब सभी सेवाओं को एक स्थान पर लाने का निर्णय लिया गया है। केंद्र का संचालन भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा किया जाता है। संचालन हेतु 14 पद स्वीकृत हैं, जिनका वेतन समाज कल्याण विभाग द्वारा वहन किया जाता है।
जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र ( क्पेजतपबज क्पेंइपसपजल त्मींइपसपजंजपवद ब्मदजतम – क्क्त्ब् ) का उद्देश्य दिव्यांगजनों को समुचित पुनर्वास सेवाएं प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में सम्मिलित करना है। केंद्र में पंजीकरण के बाद दिव्यांगजनों को चिकित्सकीय, सामाजिक, शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर उचित परामर्श और सेवाएं प्रदान की जाती हैं। आवश्यकता अनुसार उन्हें सहायक उपकरण जैसे व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल, श्रवण यंत्र आदि भी वितरित किए जाते हैं। इसके साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है और स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाता है। केंद्र विशेष शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराता है ताकि दिव्यांगजन शिक्षा या रोजगार के अवसरों से वंचित न रहें। समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रचार-प्रसार गतिविधियां चलाई जाती हैं, जिससे दिव्यांगजनों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। इसके अतिरिक्त, उन्हें सरकारी योजनाओं जैसे यूडीआईडी कार्ड, पेंशन, छात्रवृत्ति आदि से भी जोड़ा जाता है। केंद्र की विशेषता इसकी बहु-विषयी (मल्टी-डिसिप्लिनरी) टीम होती है जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट और काउंसलर जैसे विशेषज्ञ सम्मिलित होते हैं, जो दिव्यांगजनों के लिए समग्र पुनर्वास सुनिश्चित करते हैं।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि शासन की मंशा है कि पुनर्वास से संबंधित सभी सेवाएं एक ही स्थान से संचालित हों ताकि दिव्यांगजनों को इधर-उधर भटकना न पड़े। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रस्तावित स्थल पर कार्य शीघ्र पूरा कर डीडीआरसी का संचालन प्रारंभ किया जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button