बिहार में शह और मात का खेल, नीतीश और लालू यादव के विकल्पों की इनसाईड स्टोरी

नई दिल्ली। बिहार की सियासत हर रोज बदल रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं और विधानसभा भंग की जा सकती है। वहीं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी अपने विधायकों के साथ सियासी जोड़तोड़ में लगे हुए हैं। वहीं, नीतीश कुमार के फिर से एनडीए गठबंधन में वापसी की खबरों से चिंतित और असहज चिराग पासवान ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर अपनी बात रखी।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान ने अमित शाह के आवास पर शाह और नड्डा दोनों से मुलाकात कर, बिहार के राजनीतिक माहौल और नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में फिर से वापसी से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की। सूत्रों की माने तो, नीतीश कुमार के फिर से एनडीए गठबंधन में वापसी से असहज चिराग पासवान ने भाजपा के दोनों आला नेताओं से राज्य में सरकार बनाने के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने और मुख्यमंत्री पद के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार करने का आग्रह किया। बताया जा रहा है कि चिराग ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के सीटों के कोटे में कोई कटौती नहीं होनी चाहिए। पत्रकारों से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि बिहार के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर उनकी पार्टी के अंदर कई चिंताएं हैं और इन चिंताओं से उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेताओं को अवगत करा दिया है। अगर भविष्य़ के राजनीतिक विकल्पों की बात करें तो लालू यादव से अलग होने के बाद नीतीश के पास दो रास्ते हैं। वह भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। दूसरा विकल्प यह है कि वह विधानसभा भंग करके चुनाव में जाएं। हालांकि, इसकी संभावना कम है। वहीं, लालू यादव राजद सरकार बनाने की हर संभव कोशिश करेगी। इसकी वजह है- लालू की पार्टी बिहार में सबसे बड़ा दल है, दूसरा विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी आरजेडी से ही हैं। हालांकि, सरकार बनाने के लिए आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट और ्रढ्ढरूढ्ढरू के विधायक मिलाकर 116 हो रहे हैं। बहुमत का आंकड़ा 122 है। इस स्थिति में उन्हें 6 विधायक और चाहिए। इसलिए लालू हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी के बेटे को डिप्टी सीएम के पद का ऑफर दे रहे हैं।