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गढ़वाल सभा ने बलिदान दिवस पर श्रीदेव सुमन को याद किया

देहरादून। अखिल गढ़वाल सभा भवन में अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 82वें बलिदान दिवस पर गढ़वाल सभा भवन में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष रोशन धस्माना ने कहा कि सुमन जी ने मात्र 28 वर्ष की आयु में ही जनसरोकारों के लिये आमरण अनशन किया और स्वाधीनता संग्राम में भी भूमिका निभाई। उपाध्यक्ष निर्मला बिष्ट ने कहा कि हमे सुमन जी के कृत्यों से बहुत कुछ सीखना होगा। धीरज सिंह नेगी जी ने अपने विद्यार्थी काल मे ही स्व श्रीदेव सुमन के नाम से पुस्तकालय चलाया था। उन्होंने कहा सुमन के नाम पर डाक टिकट जारी करने का प्रयास हमने गढ़वाल सभा के माध्यम से किया था, जो उस समय नही हो पाया, उन्होंने मांग रखी कि उनके नाम पर डाक टिकट जारी होना चाहिए। साहित्यकार व सुमन जी के भांजे मुनिराम सकलानी ने बताया सुमन जी ने अपने क्रांतिकारी विचारों के तहत टेहरी रियासत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ 1939 में टेहरी प्रजामण्डल की स्थापना करी। मात्र 14 वर्ष की आयु में वे नमक सत्याग्रह में शामिल हुए। साहित्यिक क्षेत्र में उन्होंने सुमन सौरभ नामक कविता का संग्रह भी प्रकाशित किया। 3 मई 1944 को उन्होंने अपना आमरण अनशन शुरू किया और 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल के बाद 25 जुलाई 1944 को इस महान क्रांतिकारी सदा के लिए सो गया।
धीरज सिंह नेगी ने अपने विद्यार्थी काल मे ही स्व श्रीदेव सुमन के नाम से पुस्तकालय चलाया था, मोहन खत्री ने कहा कि अगले वर्ष हम स्वास्थ्य शिविर लगाएंगे, राकेश डंगवाल ने कहा, जितेंद्र अंथवाल ने कहा आवश्यकता इस बात की है कि श्रीदेव सुमन जी जैसी विभूतियों को हमारी आने वाली पीढियां भी प्रेरणा ले। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य जिलों में भी सुमन जी की मूर्तियां या स्मृतियां भी हों। और
चंद्र दत्त सुयाल ने सुमन जी के व्यक्तित्व पर बहुत भावुक गीत सुनाया।। इससे पहले मुनिराम सकलानी ने बताया सुमन जी ने अपने क्रांतिकारी विचारों के तहत टेहरी रियासत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ 1939 में टेहरी प्रजामण्डल की स्थापना करी। मात्र 14 वर्ष की आयु में वे नमक सत्याग्रह में शामिल हुए। साहित्यिक क्षेत्र में उन्होंने सुमन सौरभ नामक कविता का संग्रह भी प्रकाशित किया। 3 मई 1944 को उन्होंने अपना आमरण अनशन शुरू किया और 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल के बाद 25 जुलाई 1944 को इस महान क्रांतिकारी सदा के लिए सो गया।।सुमन जी ने मात्र 28 वर्ष की आयु में ही जनसरोकारों के लिये आमरण अनशन किया और स्वाधीनता संग्राम में भी भूमिका निभाई। मोहन खत्री ने कहा कि अगले वर्ष हम स्वास्थ्य शिविर लगाएंगे, राकेश डंगवाल जी ने कहा, जितेंद्र अंथवाल ने कहा आवश्यकता इस बात की है कि श्रीदेव सुमन जैसी विभूतियों को हमारी आने वाली पीढियां भी प्रेरणा ले। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य जिलों में भी सुमन जी की मूर्तियां या स्मृतियां भी हों। और
चंद्र दत्त सुयाल ने सुमन जी के व्यक्तित्व पर बहुत भावुक गीत सुनाया, ““गढ़माता कु सूत सुमन जी, गढ़माता कु पूत झम, टेहरी मा पैदा हवेगी सुमन सपूत झम“’। मोहन खत्री ने  कहा कि अगले वर्ष हम स्वास्थ्य शिविर लगाएंगे,। जितेंद्र अंथवाल ने कहा आवश्यकता इस बात की है कि श्रीदेव सुमन जी जैसी विभूतियों को हमारी आने वाली पीढियां भी प्रेरित हों। अंत मे महासचिव गजेंद्र भंडारी ने कहा कि सभा मुख्यमंत्री से प्रस्ताव रखेगी की  टेहरी झील का नाम सुमन सरोवर किया जाय, और प्रस्तावित कर्णप्रयाग रेल का नाम चंद्र सिंह गढ़वाली एक्सप्रेस रखा जाय। संचालन चज उदय शंकर भट्ट ने किया। इस अवसर पर संतोष गैरोला, वीरेंद्र असवाल, अजय जोशी, दिनेश बौराई, सूर्य प्रकाश भट्ट, संजय डिमरी, प्रभात बर्थवाल, मोहन खत्री, हेमलता नेगी, रीता बिष्ट, सुजाता पाटनी,सरस्वती रतूड़ी, चंदा बडोनी, संतोष खेतवाल, हेमचंद सकलानी, सरदार जसप्रीत सिंन वालिया, कुलानंद नौटियाल आदि उपस्थित थे।

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